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रचना: 2024-04-06
रचना: 2024-04-06 17:37
बगीचे में_व्लादिस्लाव पॉडकोविंस्की (पोलिश, 1866-1895)
हाल ही में एक दोस्त से सुनी गई बात मेरे दिल में गहरी बैठ गई है।
"काश हर दिन सहनशीलता से भरा न होकर, प्रेरणादायक हो।"
ये बात सुनकर मुझे अचानक नाक में झोंक सा महसूस हुआ।
हमारे जीवन के हर पल को प्रेरणादायक बनाया जा सकता है, इस विचार से मेरा मन भावुक हो उठा।
दोस्त की बातें अपनी डायरी में लिखते हुए, संज्ञानात्मक मनोविज्ञान के प्रोफेसर किम क्युंग-इल के शब्द याद आ गए।
"डर महसूस करना अपरिहार्य है, लेकिन हिम्मत दिखाना व्यक्ति का अपना निर्णय है।"
हर इंसान डरता है। कोई नया काम शुरू करते समय, या अच्छा कर रहे होते हुए भी अचानक अनजान डर सताने लगता है।
लेकिन डर को हिम्मत में बदलने के पल में, हमारा दिन सहनशीलता से प्रेरणा में बदल जाता है।
थोड़ी सी हिम्मत हमारे जीवन को कितना सुंदर बना सकती है, हमें इस ताकत पर विश्वास करना चाहिए।
जीवन की इस कृति को प्रेरणादायक बनाना मेरी इच्छाशक्ति, छोटे-छोटे काम और विश्वास से शुरू होता है।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे जीवन में छोटे-छोटे फैसले और काम मिलकर, अंततः हमारे सपनों का प्रेरणादायक जीवन बनाते हैं।
यह लेख पढ़ने वाले आप भी, और यह लेख लिखने वाला मैं भी, एक जैसे हैं।
हर दिन को सहनशीलता से भरने की बजाय प्रेरणादायक बनाने की थोड़ी सी हिम्मत ही पूरे जीवन को बदल देती है।
हम सभी अपनी-अपनी जीवन की कृति को खूबसूरती से पूरा कर सकते हैं।
जीवन की इस यात्रा में हर पल को प्रेरणादायक बना रहे, यही मेरी दिल से कामना है।
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