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रचना: 2024-05-24
रचना: 2024-05-24 09:09
कुछ दिन ऐसे होते हैं जब लिखना बेहद मज़ेदार लगता है, और कुछ दिन ऐसे होते हैं जब कुछ भी लिखने का मन नहीं करता। कुछ लिखने की कोशिश करने पर और भी ज़्यादा लिखने में असमर्थता महसूस होती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, पर चाहे वो कारण कुछ भी हो, अगर आप खुद को शौकिया नहीं बल्कि पेशेवर लेखक मानते हैं, तो चाहे दिन कितना भी बुरा, उदास या चिड़चिड़ा क्यों न हो, लिखना होगा। भले ही लिखावट कितनी भी खराब क्यों न हो, कुछ न कुछ लिखना होगा।
Verlorene Liebe_Carl Schweninger, Jr (जर्मन, 1854 - 1903)
लिखने का मन न होने पर लिखने का तरीका बस इतना है कि कुछ भी, कुछ भी लिखना शुरू कर दें। भले ही वो लिखावट कितनी भी खराब क्यों न हो, लिखने का मन न होने के दिनों में भी खुद को लिखने वाला बनाए रखें। लिखने की प्रेरणा इंतज़ार करने से नहीं मिलती, बल्कि पहले लिखते रहने और फिर लिखते रहने से ही मिलती है।
▶ अगर कोई आदत आपके लिए सचमुच महत्वपूर्ण है, तो चाहे आपका मन कैसा भी हो, आप उस आदत को निभाते रहेंगे। विशेषज्ञ चाहे मन कितना भी खराब क्यों न हो, फिर भी काम करते हैं। भले ही वो मज़ेदार न हो, फिर भी उसे जारी रखने का तरीका ढूँढ़ते हैं।
▶ किसी भी काम को बेहतरीन तरीके से करने का एकमात्र तरीका है कि उस काम में लगातार रुचि बनाए रखें। हमें उदासीनता से प्यार करना होगा।
-जेम्स क्लियर, अत्यंत छोटी आदतों की शक्ति
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